Katra Katra Bahata chala | कतरा कतरा बहता चला

कतरा कतरा बहता चला वो प्यार की धारा (2)
दर्द इतनी थी वो जिस्म सहता था जो 
खामोशी बयाँ करता 
कतरा कतरा बहता चला 

1. नामुनासिब लहू बदन से बह गया जाने क्यों 
सोचा न था जो इतनी मोहब्बत दे गया जाने क्यों 
सारे सितम सारे ज़ख़्म चुपके से सह गया जाने क्यों 
लम्हा लम्हा सोचू सोचू वो मंजर 
अश्क भरा वो समां  ||कतरा कतरा||

2. सजा थी कैसी कैसा था वो आलम ऐ मेरे खुदा 
सुन के अब तो सहा न जाये वो दर्द ए दास्तान
ज़ालिम वो जहाँ बेरहम बनी दुनिया 
प्यार इतनी थी जो कुर्बान होके भी 
हमको कहे अपना ||कतरा कतरा||
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