कंहा कैसे क्या उपहार दू , मैं समझ ना पाऊँ
मुझे बता दें प्यारे प्रभु , क्या पसंद है मेरे प्रभु
उसे तोड़ लाऊं तेरे लिए , उसे चुन लाऊं तेरे लिए
1. मेरा ये जीवन तुझपे समर्पण ,
करती हू मैं प्रभु तेरे लिए (2)
उसे तोड़ लाऊं तेरे लिए , (2)
2. रोटी और दाखरस प्रभु को अर्पण
ग्रहण कर लें पावन बना दे (2)
उसे तोड़ लाऊं तेरे लिए (2)
3. थाली में फल फूल लाएं हैं हम ,
प्रभु के चरणों में (2)
उसे तोड़ लाऊं तेरे लिए (2)
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